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23 Dec 2024, Mon

जौनपुर, यूपी

अज़ीम सिद्दीकी

जनपद जौनपुर के शाहगंज सोंधी सबसे बड़ा ब्लॉक है। इसी क्षेत्र के अंतर्गत खेतासराय-खुटहन मुख्य मार्ग पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थित है। जहाँ पर भारी संख्या में आशा बहुएं कार्यरत है। सरकार इन आशा बहुओं को सूचना व अन्य सुविधाओं के लिए पाल रखा है। लेकिन पीएचसी सोंधी पर आशा बहुएं की काली करतूत सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे।

इत्र के शहर शिराजे हिन्द जौनपुर में जहाँ खुशबू के बेचने के नाम से जाना जाता है जहाँ की इत्र से पूरा देश महकता है इसी जनपद से इत्र बनकर पूरे देश मे बिकती थी। इस जनपद में लिंग अनुपात पुरुषों से अधिक महिलाओं का है कभी जौनपुर को शिराजे हिन्द का भी खिताब से नवाजा जा चुका है।

लेकिन इसी जनपद के एक ब्लाक में इत्र नही मरीज बिकते है। यह जानकारी तब ज्यादा सामने आई खुलकर जब एक विश्वसिनीय सूत्र ने बताया कि कमीशन के चक्कर में सरकारी अस्पताल में कार्यरत आशा बहुएं निजी अस्पताल व झोलाछाप डॉक्टरों के यहाँ मरीजों को धड़ल्ले से बेच रही है।

सूत्र का दावा है यह सोलह आना सच है कि कमीशन व मोटी रकम के चक्कर में आशा बहुएं खुलेआम निजी अस्पतालों में मरीजों का बेचने का गोरखधंधा किया जा रहा है। जो पिछले कई महीनों से अपने शबाब पर चल रहा है। जिम्मेदारों द्वारा कार्यवाही न करने की वजह से इनका हौसला धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार आंकड़े बताते है कि जनपद के लगभग इक्कीश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। जिस पर कुल लगभग 3817 आशा बहुएं कार्यरत है। इनमें से सबसे अधिक 242 आशा बहुएं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सोंधी में कार्यरत है। जबकि सबसे कम धर्मापुर पीएचसी पर 109 आशा बहुएं कार्यरत है। अब आप अंदाजा आसानी से लगा सकते है पीएचसी सोंधी के बारे में यदि मरीजों का बेचने का धंधा चल रहा है तो क्या हाल होगा ?

सरकारी अस्पताल के प्रति मरीजों में भय बना कर किया जाता है शोषण
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सोंधी के बारे में नाम न छापने की शर्त पर एक निजी चिकित्सालय के कर्मचारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों से कमीशन के चक्कर में आशा बहुएं सरकारी अस्पताल व सुविधा के प्रति मरीजों के अंदर भय तथा घृणा पैदा कर दिया जाता है। जिससे मरीज उनके बहकावें में आ जाते है। ऐसे में निजी डॉक्टरों के हाथ मे मज़बूरी में बिकने को विवश हो जाते है।

शहर से लेकर ग्रामीणांचल तक आशा बहुएं अपना जाल फैलाई हुई है जिसमें फंसाकर प्राइवेट अस्पतालों तक मरीजों को पहुँचाया जाता है। प्राइवेट अस्पताल में पहुँचने के बाद पैसों के भूखे डॉक्टरों के मीटर चालू हो जाते है। जब तक पूरी तरह से खून नहीं चूस लेते तब तक जल्दी छोड़ने का नाम नहीं लेते है। ऐसे में बाकायदा बोली लगाई जा जाती है। इस तरह सरकार से धोखा कर रही आशा बहुओं के खिलाफ कार्यवाही कर जिम्मेदारों को पूरी तरह से अंकुश लगाना चाहिए।

आशाओं का खेल बेचो और कमाओ, धरती के भगवान का शैतान वाला रूप
धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर व आशा बहुएं रुपयों के चक्कर में इस कदर घटिया कामों को अंजाम देने पर आमादा रहते है कि जिसकी कल्पना करना मुश्किल है। नॉमर्ल डिलेवरी होने वाले भी पैसा और कमीशन के चक्कर मे ऑपरेशन कर दिया जाता है। जिसका अलग-अलग कमीशन फिक्स है। जितना अधिक कमीशन मिलता है वहां आशा उन मरीजों को बेच देती है। मरीजों को लेकर चलने से पहले आशा मोबाइल फ़ोन से निजी अस्पताल व झोलाछाप डॉक्टरों से सम्पर्क कर लेती है।

जो अस्पताल इन्हें ज्यादा कमीशन देता है उन अस्पतालों पर यह आशाएं भेज देती है या आसानी से पहुँचा देती है। चिकित्सक व आशा धन के इतने अंधे है कि पहुँचने के बाद धड़ाधड़ ऑपरेशन की तैयारी में जुट जाते है। समय पूरा नहीं होने पर भी इंजेक्शन लगाकर डिलेवरी कर दी जाती है ताकि मरीज कही इधर-उधर बहकने न पाएं। इसमें चिकित्सकों को ज्यादा कमाई होती है आशाओं को भी भारी कमीशन मिल जाता है। यह खेल लंबे समय से खेला जा रहा है। आशा व निजी अस्पताल के डॉक्टर मिलकर गरीबों को जमकर लूट रहे है। धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर व आशा शैतान की भूमिका निभा रहे है। भगवान के नाम पर शैतान का रूप धारण कर भगवान को भी बदनाम करने में जुटे हुए है।

सबसे ज्यादा बेचे जाते है मासूम बच्चे
यह आम बात होती जा रहा है की प्राइवेट डॉक्टरों को आशाओं द्वारा जन्म लेने से पहले मासूमों को बेचना। लेकिन इन मरीजों में सबसे ज्यादा जन्म लेने वाले मासूम बच्चे शामिल है। अगर किसी महिला का स्वास्थ्य और नार्मल हालत में डिलेवरी हुआ, तो जन्म लेने वाले नवजात बच्चे के परिजनों से तमाम तरह की बीमारियां बता कर इतना भी बना दिया जाता है कि परिजन नवजात बच्चे को लेकर आशा के पीछे-पीछे उस निजी अस्पताल में चले जाते है। जहाँ पर इनका आर्थिक शोषण किया जाता है। बच्चा पूरी तरह स्वस्थ व सेहतमंद होने के बावजूद भी उसे आक्सीजन लगा देते है। और

एनआईसीयू में रख दिया जाता है
एक दो दिन इलाज करने की बात कहकर जबरन दस दिनों तक चिकित्सक बच्चो को भर्ती कर लेते है और परिजनों से बेड चार्ज से लेकर तमाम तरह की सुविधाओं के नाम पर एक दिन का तीन से चार हज़ार रुपये तक का चार्ज लेते है। यह सब खेल सिर्फ कमीशन के चक्कर मे खेला जाता है। लेकिन विभागीयजिम्मेदार इस नक्कारेपन की सीमा को लांघते हुए इन लोगों को खुली छूट दे रखा है ?

कुल मिलाकर जनपद में सबसे ज्यादा आशा बहुएं पीएचसी सोंधी पर काम कर रही है। जहाँ पर यह आलम है कि मरीजों को आशाओं द्वारा बाजारों में बेच जा रहा है। आशा बहुएं सरकार के अरमानों पर पानी फेर कर कमीशन के चक्कर निजी डॉक्टरों को मरीज को अपने बुने हुए जाल ने फंसाकर क्ष्रेत्र के अन्य बाजारों में पांव जमाएं निजी अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों के यहाँ आशाओं द्वारा भेजा जा रहा है। ना तो इनमें किसी तरह का भय है बल्कि मरीजों के अंदर उल्टा ही भय बनाकर उनका शिकार किया और कराया जा रहा है।

यदि समय रहते इसे नहीं चेता गया और कार्यवाही नही हुई तो परिणाम भयावह हो सकता है तथा गरीबों की गाढ़ी कमाई के पर आशाओं और डॉक्टरों द्वारा डांका डाला जा रहा है। जिम्मेदार चुप्पी साधे बैठे है अब देखना है क्या जिम्मेदार कार्यवाही करते है या फिर टॉय-टॉय फिस्स हो जाता है।

By #AARECH