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22 Nov 2024, Fri

जौनपुर, यूपी

खुले में शौच की समस्या से गम्भीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न होता है, जिसका व्यापक प्रभाव परिवार की आर्थिक हालत पर भी पड़ता है। भारत में आज भी खुले में शौच की प्रथा जारी है जो महिलाओ के लिए निश्चित रूप से परेशानी का सबब है।
इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार दिल्ली के लाल किले से स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ करते हुए शपथ लिया था कि मैं स्वच्छता के प्रति सजग रहूंगा, हर सप्ताह दो घन्टे श्रमदान करके स्वच्छता के लिए काम करूंगा।
मैं न गन्दगी करूंगा, न किसी को करने दूंगा। यह शपथ लोगों के जीवन के कार्यशैली में उतारने की भरपूर कोशिश भी किया ताकि भारत एक स्वच्छ और स्वस्थ्य राष्ट्र बन सके। 2019 के 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वीं जयंती पर सच्ची सुंदरतम श्रद्धांजलि होंगी।

इसी को पूरा करने के लिए व्यापक पैमाने पर विशेष कार्यक्रम व योजनाएं लागू की ताकि देश का कोई भी नागरिक इससे अछूता न रह जाएं। नागरिकों के सम्मान के लिए, खास करके माताओं-बहनों के सम्मान के लिए खुले में शौच जाने की आदत बंद करने के लिए सरकार निःशुल्क शौचालय योजना शुरू किया जिसके लिए ओपन डेफिकेशन फ्री (ओडीएफ) खुले में शौच जाने की आदतों से मुक्ति का अभियान चल पडा।

जिसे पूरा करने में विकास खण्ड शाहगंज सोंधी कोसो दूर नज़र आ रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आज भी उक्त विकास खण्ड के लगभग बीस गांव पाराकमाल, खलीलपुर ,चौकियां, राजेपुर, अब्बोपुर, मानी खुर्द, सैद गोरारी, आर्गुपुर खुर्द, खानूवाई, मनेछा, मुस्तफाबाद, जैगहाँ, मुडैला, सबरहद, महरौरा, प्रासिन, मजडीहाँ, अरंद, हाजीरफीपुर व ढाँढवारा खुर्द सहित लगभग दो दर्जन गांव ओडीएफ घोषित होने के लिए तरस रहे है। इस वित्तीय वर्ष में आज तक कोई गांव ओडीएफ घोषित नहीं हो सका। एक भी शौचालय इन गाँव मे फीडिंग नही हो पाई और पात्र लोगों को इसका लाभ नही मिला।

सरकार ग्रामीणों का लोटा छुड़ाने का कर रही प्रयास, अधिकारी लोटा लेकर जाने को कर रहे मजबूर
उक्त विकास खण्ड के अधिकारियों में सरकार का जरा भी भय नहीं है कि हम क्या गलत कर रहे है और क्या सही कर रहे है। अधिकारी सरकारी योजनाओं का जमकर पलीता लगा रहे है। यदि इनमें सरकार का भय होता तो आज उक्त गांव ओडीएफ होने के लिए नहीं तरसता। आज से लगभग 5 साल पहले अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्बोधित किया था जिसकी पुष्टि हम नहीं करते है-गांधी जी ने हमें आज़ादी दी थी। भारत माँ को गुलामी की जंजीरे से मुक्त किया। भारत माँ को गन्दगी से मुक्त करना क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है, जब हम गांधी जी 150वीं जयंती मनाएंगे तब हम महात्मा गांधी के चरणों मे स्वच्छ-साफ हिंदुस्तान दे सकते है? जिस महापुरुष ने हमें आज़ादी दी, उस महापुरुष को हम नहीं दे सकते है? अगर करोड़ो देशवासी यह तय कर ले कि मैं गन्दगी नहीं करूंगा तो दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो हिंदुस्तान को गन्दा कर सकता है। गर्व के साथ बाहरी देशों में प्रधानमंत्री स्वच्छता को बखान कर रहे है लेकिन जिम्मेदार के रूप में बैठे अधिकारी ग्रामीणों को गन्दगी करने के लिए विवश कर रहे है इसमें ग्रामीणों का क्या दोष क्या है ?

तो कैसे पूरा होगा खुले में शौच मुक्त भारत का सपना।
विकास खण्ड शाहगंज के गांवों में साफ-सफाई व्यवस्था को बनाये रखने के लिए सफाई कर्मी नियुक्त किये गए है। जिसका कुछ अता पता ही नही है कौन सफाई कर्मी है कब सफाई करता है यह किसी को नहीं पता। सफाई कर्मी भी अधिकारियों से साँठ गाँठ करने के बाद मौज-मस्ती के साथ क्रीच टाइट करके घूम -घूम रहे है। अधिकारियों को तो पूछिये मत सब सही है। स्वच्छता अभियान का सपना कागजों में सुनहरे अक्षरों में साकार हो रहा है।

कभी विकास खण्ड कुछ गांवों के पगडंडियों, सड़को पर हकीकत का पता लगाने आइये तो अन्दाज़ा लग जायेगा। देखने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी जैसे ही आप जाएंगे तो गंदगी का अम्बार बजबजाती नालियां आपको खुद अपने बदबू से पुकारेगी कि साहब आपका ध्यान किधर जरा इधर भी। आप भी देखकर आनंदित हो जाएंगे यह तो जाने के बाद पता चलेगा। स्वच्छता के नाम पैसे डकारें जा रहे है। बंदरबाट किया जा रहा है।आधे-अधूरे शौचालयों का निर्माण कराकर वो भी मानक के विपरीत भ्रष्टाचार की गंगा बहाई जा रही है।

महात्मा गांधी के 150वीं जयंती आने में मुश्किल से लगभग चार महीने बचे है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पहले ही शपथ ले चुके है कि उक्त जंयती पर एक सच्ची और सुंदरतम श्रद्धांजलि बापू जी के चरणों मे अर्पित करूंगा। क्योंकि उनके सपनों को साकार कर हकीकत में बदला हूँ ? क्या वाकई प्रधानमंत्री का श्रद्धांजलि सच्ची होगी ? यदि स्वच्छता भारत के नियत देंगे तो शायद लगता नहीं क्योकि उनके तरफ से पूरी कोशिश तो रही लेकिन विकास खण्ड शाहगंज सोंधी के अधिकारी नहीं चाह रहे है कि प्रधानमंत्री सच्ची श्रद्धांजलि बापू जी को अर्पित करें। यदि चाहते तो आज यह नौबत ना आती की गांव आने बदकिस्मती पर आँसू ढहाता।

स्वार्थ और सिर्फ उल्लू सीधा के आगे सब कुछ भूल कर गर्त में ढकने का काम किया है। यदि अधिकारी चाहते तो आज नहीं बल्कि आज़ादी के चन्द वर्ष बाद बापू के शताब्दी जयंती पर भी सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती थी। लेकिन अभी हाल यह है कि जिस विकास खण्ड में दो दर्जन से अधिक गांव ओडीएफ नहीं घोषित हो पाए है और पांच माह से कोई गांव ओडीएफ फीडिंग नहीं हो पाई हो तो वह चार माह में कैसे पूरा हो पायेगा ? क्या यही होगी बापू के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि।

By #AARECH