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22 Dec 2024, Sun

जयंत जिज्ञासू

पत्रकारिता से आरजेडी में राजनीतिक पारी शुरु करने वाले जयंत जिज्ञासू ने योगेंद्र यादव के दिल्ली और बेगूसराय में दिए गए बयान पर सवाल उठाया है। जयंत जिज्ञासू ने सोशल मीडिया पर इस बारे में लिखा है।

“अब योगेंद्र यादव क्या बोलते हैं नहीं बोलते हैं, 3 तीन बाद ख़ुद उनके लिए ही उनकी बातों का कोई महत्व नहीं रह जाता है।

20 तारीख़ को दिल्ली में नोटा का बटन दबाने की अपील करते हैं, और 23 तारीख़ को बेगुसराय में हसिया-गेहूं बाली का बटन दबाने की अपील करते हैं। ये वही योगेंद्र हैं जिन्होंने जेएनयू में साथी जीतू का भूख हड़ताल तुड़वाने आए तो अॉन रिकॉर्ड कहा था, “कम्युनिज़म अब आउटडेटेड आयडिया है और भारत की सामाजिक परिस्थितियों को समझने में बुरी तरह विफल हुआ है। मुझे आप सब पर फख्र है कि जाति के सवाल को उठा रहे हैं, वरना तो हम अपने ज़माने में इसी जेएनयू में कास्ट के सवाल पर दाएं-बाएं करके निकल जाते थे”।

योगेन्द्र जी, जितने डायसी और अनप्रिडिक्टेबल आप छात्र जीवन में थे, उतने ही आज भी हैं। हमारे यहां एक लफ्ज़ है- घुरचियाह, वही आप हैं, हमेशा गाभिन बात बोलने वाले।

2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के वक़्त आपने जितना वाहियात आर्टिकल लिखा था, उससे आपकी मंशा सहज समझी जा सकती है। कर्नाटक चुनाव के नतीजे के बाद ज़ोर देकर कहा कि आप लिख कर ले लें कि सरकार भाजपा ही बनाएगी। बहुत कुछ नहीं कहना चाहता, कुछ लोगों की इतनी ही इज्जत करता रहा हूं कि उनके बारे में कुछ कहते हुए अच्छा नहीं लगता। ऐसे ही पत्रकारिता जगत के एक व्यक्ति के बारे में बोल कर कभी अच्छा नहीं लगा। पर क्या कीजै, दोहरेपन की भी एक हद होती है। योगेंद्र जी की शीरीं ज़बां में साधारण बात को असाधारण व गंभीर बना कर पेश करने की अदा पर बस क़ुर्बान हुआ जा सकता है।

कितने शीरीं हैं तेरे लब कि रक़ीब
गालियां खा के बे-मज़ा नहीं हुआ।”

One thought on “तीन दिन में ही अपने बयान से क्यों पलटे योगेंद्र यादव”
  1. कन्हैया विरोध की आग में झुलसते जयंत ने लिखा है :::
    “20 तारीख़ को दिल्ली में नोटा का बटन दबाने की अपील करते हैं, और 23 तारीख़ को बेगुसराय में हसिया-गेहूं बाली का बटन दबाने की अपील करते हैं।”
    यह लिखना ही साबित करता है कि कन्हैया विरोध की आग में तथ्यों को जांचने की समझ स्वाह हो गई है।
    दिल्ली में नोटा को चुनने की अपील की थी, दिल्ली के बाहर नहीं ।
    यूं भी लेफ्ट के सारे उम्मीदवारों का समर्थन नहीं बल्कि कन्हैया का समर्थन किया गया है। जो उसके योगदान को पहचानते हुए किया है।

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