गाज़ीपुर, यूपी
पूर्व सांसद अफ़ज़ाल अंसारी की गुज़ारिश सपा मुखिया अखिलेश यादव ने क़ुबूल कर ली है। वह बसपा मुखिया मायावती संग गाजीपुर में 13 मई को आईटीआई मैदान में अफजाल अंसारी के समर्थन में चुनावी रैली करेंगे। इस रैली को लेकर जहां सपाजन खुश हैं वहीं बसपा के लोग भी खासे उत्साहित हैं।
गाजीपुर संसदीय सीट सपा गठबंधन के तहत बसपा के लिए छोड़ दी है। बसपा अफजाल अंसारी को गठबंधन का उम्मीदवार बनाने के लिए अपनी ओर से गाजीपुर संसदीय क्षेत्र का प्रभारी भी घोषित कर चुकी है। अफजाल अंसारी बीते 26 मार्च को लखनऊ में सपा मुखिया अखिलेश यादव से मिले थे और उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान गाजीपुर में बसपा मुखिया संग चुनावी रैली करने का आग्रह किए थे।
जाहिर है कि गाजीपुर संसदीय सीट पर सपा का पूरा प्रभाव है। इस नाते बसपा नहीं चाहती कि सपा की ओर से ऐसा कोई मौका मिले जिसे विरोधी अपने लिए इस्तेमाल कर पाएं। बसपा के चुनाव अभियान प्रबंधन से जुड़े लोगों की मानी जाए तो अखिलेश यादव के साथ ही सपा के अन्य स्टार प्रचारकों को भी गाजीपुर बुलाया जाएगा। इनमें सपा सांसद धर्मेंद्र यादव का नाम प्रमुख है। कोशिश यही रहेगी कि गाजीपुर में प्रमुख जगहों पर उनकी चुनावी सभाएं हों। सपा में अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के बाद धर्मेंद्र यादव ही ऐसे नेता हैं जिनकी गाजीपुर में खासी पहचान है। गाजीपुर में सपा के कई कार्यकर्ताओं को धर्मेंद्र यादव चेहरे और नाम से पहचानते हैं।
वैसे चर्चा है कि अखिलेश यादव पर गाजीपुर में साझी रैली करने का दबाव न सिर्फ बसपा मुखिया मायावती का है बल्कि खुद अखिलेश यादव भी चाहेंगे कि वह गाजीपुर आएं। वजह वह गाजीपुर से सटे आजमगढ़ संसदीय सीट से चुनाव लड़ेंगे। वहां के मुस्लिम वोटरों को रिझाने के लिए गाजीपुर में अफजाल अंसारी के लिए काफी मुफीद रहेंगे। शायद उन्हें पता है कि अंसारी बंधुओं का आजमगढ़ सहित पूर्वांचल के कई संसदीय क्षेत्रों के मुस्लिम वोटरों पर अच्छा प्रभाव है।
सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती की संयुक्त रैलियों की सूची दोनों पार्टियों ने जारी कर दी है। इसमें कानपुर, अकबरपुर, मिश्रिख, उन्नाव लोकसभा शामिल नहीं है। इन क्षेत्रों में दोनों नेता एक साथ कोई रैली नहीं करेंगे।
इन लोकसभा क्षेत्रों की जो सीटें सपा के खाते में हैं, वहां सपा का जनाधार नहीं है। ऐसे में कहा जा रहा है कि मायावती अकेले ही यहां रैली करने आ सकती हैं। अखिलेश और मायावती की संयुक्त रैलियां सात अप्रैल से शुरू हो गई हैं और 13 मई तक चलेंगी।