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22 Nov 2024, Fri

खुर्शीद अनवर खान

मुंबई, महाराष्ट्र
पिछले कई दशक में मुल्क में कई घटनाएं हुईं। दंगे-फसाद में हज़ारों लोग क़त्ल हुए। आतंकवादी घटनाओं में मासूमों की जान गई। हज़ारों बलात्कर हुए। लेकिन मेरी नज़र में गंगा के लिए शहीद हुए इस संत की मौत सबसे बड़ी घटना है। यह कोई हादसा या सामान्य मौत नहीं, बल्कि उस सरकार द्वारा किया गया क़त्ल है जो गंगा के नाम पर हुकूमत में है।

वज़ीर-ए-आज़म खुद को गंगा का बेटा बताते हैं। गंगा की सफाई के लिए अलग से विभाग बनाया जाता है। भगवा वस्त्रधारी महिला इस विभाग की मंत्री बनती है। हज़ारों करोड़ का बजट तय होता है। फिर उसी गंगा माँ के पुत्र की सरकार की रिपोर्ट बताती है कि हजारों करोड़ खर्च होने के बाद भी गंगा का प्रदूषण घटने के बजाय बढ़ गया है।

इसी दौरान करोड़ों इंसानों को जीवन देने वाली गंगा को बचाने के लिए यह संत अनशन शुरू करता है। गंगा माँ का नकली बेटा जब तक जागता तब तक असली बेटा मां को बचाने की लड़ाई में शहीद हो जाता है। आज मन मे सिर्फ गुस्सा नही है।बल्कि मुल्क के मुर्दा नागरिकरों पर अफसोस भी हो रहा है। इसके बाद भी अगर कोई भक्त बचा है तो धिक्कार है उस पर।

(खुर्शीद अनवर ख़ान पहले पत्रकार थे बाद में एक राजनीतिक दल से जुड़े रहे। फिलहाल मुंबई में हैं और स्वतंत्र लिख रहे हैं)