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22 Nov 2024, Fri

जौनपुर: स्कूल व बीमारी के नाम पर मिशनरियों ने फैलाया धर्मांतरण का जाल

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जौनपुर, यूपी

ज़िले के चंदवक थाना क्षेत्र के भूलनडीह गांव में धर्म परिवर्तन की खबर ने लोगों बहस करने को एक नया मुद्दा भले ही दे दिया हो लेकिन ये खबर इतनी छोटी नहीं हैं, जितना लोग समझ रहे हैं। दरअसल ज़िले में एक तरफ बेरोजगारी और गरीबी की मार तो दूसरी तरफ घटिया शिक्षा व्यवस्था से जूझते लोग इसाई मिशनरियों की तरफ मुड़ रहे हैं। वहीं ईसाई मिशनरियों के लिए एक बड़ा मौका हाथ लगा है कि वह इसका फायदा उठाएं। इस पूरे मामले को सिलसिलेवार से देखेंगे तो इसकी कड़िया खुलती नज़र आएंगी।

क्या है पूरा मामला
दरअसल चंदवक थाना क्षेत्र के भूलनडीह गांव के भोले-भाले लोगों को असाध्य रोगों से छुटकारा दिलाने और सभी परेशानियों से मुक्त करने का झांसा देकर ईसाई धर्म अपनाने का आरोप ईसाई मिशनरियों पर लगा है। एक अनुमान के मुताबिक इस इलाके में करीब 20 हजार लोग अब तक धर्म परिवर्तन कर चुके हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक इनमें ज़्यादातर हिंदू हैं और वो देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना छोड़ बाइबिल के उपदेश सुनने लगे हैं। इन लोगों ने मंदिरों से नाता तोड़ कर प्रार्थना सभा में इसाईयत को अपना लिया है।

इस अभियान के पीछे कौन
जब इस इलाके के लोगों से बातचीत करने की कोशिश की गई तो कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं है लेकिन एक नाम जो सबके सामने आ रहा है वो कोई “ब्रदर” है, जो इन ग्रामीणों को रोगों से मुक्ति दिलाने का दावा कर रहा है। वो अपेन अंदाज़ में इसाई धर्म का प्रचार कर रहा है। दरअसल ऐसे किसी तरह को रोका नहीं जा सकता है। अगर जबरन कोई धर्म परिवर्तान कराए तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

ज़िला प्रशासन की कार्रवाई
ग्रमीणों के हंगामे की जैसे ही खबर पुलिस प्रशासन को मिली वो इस प्रकरण में हरकत में आया। खुद ज़िले के एसपी दिनेश पाल सिंह सोमवार को दल बल के साथ मौके पर पहुंचे। वहां ग्रामीणों से पूछताछ के बाद “ब्रदर” के भाई को हिरासत में ले लिया। हालांकि उससे पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया। दरअसल ज़िला प्रशासन के पास किसी ने जबरन धर्म परिवर्तन की शिकायत दर्ज नहीं कराई।

हिंदू संगठनों का हंगामा
इस मुद्दे पर सबसे ज़्यादा तथाकथित हिंदू संगंठनों ने हंगामा किया। इन संगंठनों ने एक तरफ प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बनाया तो दूसरी तरफ ग्रामीणों की घर वापसी के लिए दबाव बनाने लगे। दरअसल गरीबी, बेगोजगारी और अशिक्षा से पूरा इलाका पस्त है। ऐसे में यहां रहने वालों का पुरसाहाल लेने वाला कोई नहीं है। जब इन ग्रामीणों को कोई रास्ता नज़र आता है तो वह धार्मिक बंधनों को तोड़कर अपना रास्ता बदल लेते हैं। वहीं ये तथाकथित संगठन सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए हो-हल्ला मचाते हैं लेकिन ज़मीन पर जाकर इन ग्रामीणों की मदद करने वाला कोई नहीं हैं।

शाहगंज में भी हो चुका है धर्मांतरण
ज़िले के कई इलाकों में धर्मांतरण की खबरें आती रहती है। शाहगंज कोतवाली क्षेत्र में पिछले साल सबरहद, मजडीहा में धर्मांतरण की खबरें आई थी। वहीं सरपतहां थानाक्षेत्र के समोदपुर गांव में धर्मांतरण को लेकर काफी बवाल हुआ था। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की थी। इस इलाके में धर्मांतरण में एक प्रतिष्ठित स्कूल का हाथ था। शाहगंज के काफी पुराने इस मिशनरी स्कूल के खिलाफ काफी शिकायतों पहले भी रहीं हैं लेकिन अपनी पहुंच के चलते आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

स्कूलों से भी ईसाइ धर्म का हो रहा है प्रचार
सिर्फ जौनपुर नहीं पूरे देश में शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर ईसाई लगातार काम कर रहे हैं। पूरे ज़िले में ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित सैकड़ों स्कूल हैं। ये स्कूल शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ गावों में भी मौजूद हैं। वैसे तो ज़िले में कांवेंट के नाम पर सैकड़ों स्कूल कुकुरमुत्ते की तरह उग आएं हैं लेकिन इनमें शिक्षा का स्तर बेहद घटिया है। मिशनरी स्कूल इसी का फायदा उठाते हैं। एक तरफ तो वो अच्छी शिक्षा देते हैं तो दूसरी तरफ वो पड़ने वाले बच्चों के दिमाग में बचपन से ही ईसाई धर्म की बातें धीरे-धीरे बताने लगते हैं। बच्चों के अभिभावकों को सबकुछ मालूम होने के बाद भी उनके मुंह बंद हैं। वो अपने बच्चों का भविष्य देख रहे हैं।

क्या है इसका इलाज
धर्म और समाज की ठेकेदारी का दावा करने वाले सैकड़ों हर गली-मोहल्ले में मिल जाएंगे लेकिन ज़मीन पर जाकर काम करने वाले लोग खोजने पर शायद एकक-दुक्का ही नज़र आएंगे। फिलहाल तो इसका इलाज नज़र नहीं आ रहा है लेकिन अगर इसे खत्म करना है तो सामाजिक आंदोलन ही इसका रास्ता है।