गुरदीप सिंह सप्पल
नई दिल्ली
प्रधानमंत्री मोदी चीन गए। बिना किसी अजेंडा के वहाँ बात करने। जो तय किया वो सामने आने लगा है।
भारत ने ताइवान को दी गयी मान्यता को दरकिनार के उसे ‘चायनीज़ तायपे’ के नाम से लिखना स्वीकार कर लिया है। एयर इंडिया की उड़ानों पर अब ये नाम रहेगा। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता आया है।
दूसरी ओर, बैंक ऑफ चाइना को भारत में कारोबार शुरू करने का लाइसेन्स रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने दे दिया है। अपने बैंकों की खस्ताहाल के मद्देनज़र ये काफ़ी दुस्साहसी फ़ैसला है।
चलो… चीन की ज़िद मान ली तो मान ली। बदले में क्या लिया?
क्या चीन पाक अधिकृत कश्मीर पर भारत के दावे को मानने के लिए तैयार हो गया है?
क्या चीन ने अब अज़हर मसूद को आतंकवादी लिस्ट में शामिल करने का विरोध छोड़ दिया है?
क्या चीन ने भारत की न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (NSG) की सदस्यता का विरोध छोड़ दिया है?
क्या Belt and Road Initiative (BRI) पर भारत की सर्वभौमिकता की चिंताओं को चीन ने गम्भीरता से लिया है?
देश को बताइए, वरना देशवासी यही समझेंगे कि चीन की ताक़त के आगे आप झुक ही गए।
(गुरदीप सिंह सप्पल हिंद किसान मीडिया ग्रूप के सीईओ हैं। व राज्य सभा टीवी के सीईओ रह चुके हैं। वह मीडिया में कई सालों से सक्रिय हैं।)