जौनपुर, यूपी
74 बदलाव का वर्ष है। छात्र आंदोलन शिखर पर है, जेपी 42 में लौट पड़े हैं। दुनिया की प्रसिद्ध रेल हड़ताल शुरू होने वाली है। मई के आखिरी सप्ताह में इलाहाबाद देश स्तर पर आयोजित छात्र सम्मेलन का गवाह बनने जा रहा है। साहित्य की एक बहुत बड़ी शख्सियत महादेवी वर्मा जी ने अपना शिक्षण संस्थान छात्र सम्मेलन को दे दिया है।
उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री स्वनाम धन्य इलाहाबाद के ही हेमवतीनंदन बहुगुणा हैं। 72 के पुलिस विद्रोह उफान में पंडित कमलापति त्रिपाठी की सरकार गिर चुकी है। इस पुलिस आंदोलन के महान नेता रामा नन्द तिवारी जी इलाहाबाद में झंडा गाड़े बैठे हैं। रेल हड़ताल के रचयिता जार्ज फर्नांडिस इलाहाबाद में गुप्तवास हैं। जेपी से उनकी मुलाकात होनी है। जार्ज ने हमसे कहा किसी तरह रामा नंद जी को यहां लाओ, किसी को पता न चले।
हम बाबा के पास गए और बताये की जार्ज मिलना चाहते हैं। हम बाबा के साथ निकल पड़े रास्ते में देखा कि युवजनों की भीड़ जो सिविल लाइन जाना चाहती थी, को पुलिस बल रोक रहा है। अचानक बाबा रामा नंद जी उधर मुड़ गए। पुलिस में हलचल मच गई। कोई सल्यूट मार रहा है कोई झुक कर सलाम कर रहा है। पुलिस बाबा को घेर कर खड़ी हो गई और युवजनों की भीड़ आगे बढ़ गई।
यह थे बाबा रामा नंद तिवारी । वो आजीवन बाबा रहे और हम युवजन उनके ‘ बाचा ‘
सादर नमन बाबा ।
(चंचल बीएचयू खाटी के समाजवादी है। वह बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। राजनीतिक, सामाजिक मालों में बेबाकी से लिखते हैं। जौनपुर में रहकर वह समता घर चला रहे हैं।)