रियाद, सऊदी अरब
सऊदी सरकार के लेबर और सोशल डेवेलपमेंट मंत्रालय ने कहा है कि पिछले साल 4 लाख 80 हज़ार प्रवासियों यानी खारजियों ने अपने स्पांसरशिप को बदला है। स्थानीय अल-मदीना अखबार ने लेबर मंत्रालय के अधिकारी के हवाले से कहा है कि लेबर नियमों में पिछले कुछ सालों में हुए बदलाव की वजह से खारजी इसका फायदा उठा रहे हैं। सऊदी के लेबर मंत्रालय के नियमों के मुताबिक तीन महीने या उससे ज़्यादा सैलरी रोके जाने पर वर्कर खुद बिना कफील या फिर कंपनी को बताए स्पांसरशिप बदल सकता है।
सऊदी अरब में मानव संसाधन विकास पर काम करने वाले जानकारों का मानना है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल कुछ कम लोगों ने जॉब ट्रांसफर किया है। जानकारों का कहना है कि बड़ी पोस्ट पर अब विदेशियों के मुकाबले स्थानीय लोगों को ज़्यादा तरजीह दी जा रही है। सऊदी सरकार ने कई पदों के लिए सऊदी लोगों को रिजर्व कर दिया है।
सऊदी अरब में लेबर कानून के जानकार निदाल रिदवान के मुताबिक सऊदी अरब में कफील या कंपनी को बताए बगैर स्पांसरशिर बदलना कानूनी अपराध है और ऐसा करने वाले वर्कर पर भारी जुर्माने का प्रावधान है। रिदवान के मुताबिक कफील या फिर कंपनी अपने वर्कर की सैलरी नहीं रोक सकती। अगर वह ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने का कानून है। उन्होंने कहा कि ये अंतर्राष्ट्रीय कानून है और इसका पालने सभी देशों को करना पड़ा है।
सऊदी अरब के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस समय करीब 82 लाख प्रवासी या खारजी काम करते हैं। इनमें करीब 30 लाख भारतीय लोग शामिल हैं। इनमें से ज़्यादातर लेबर क्लास में हैं। वहीं गैर सरकारी आंकड़ों में ये संख्या काफी ज़्यादा है और कहा जाता है कि काफी लोग अवैध रूप से रह रहे हैं।