.32 बोर की देशी पिस्टल हो या फिर 315 बोर का तमंचा, यह दोनों अवैध हथियार बाज़ार में बड़ी ही आसानी से मिल जाते हैं। लेकिन दिक्कत आती है तो इसे चलाने के लिए कारतूस की। और शायद इसी लिए क्राइम की दुनिया में कारतूस मुंह मांगे दाम पर बिकते हैं। गन हाउस पर 80 से 100 रुपये में बिकने वाला कारतूस क्राइम की दुनिया में 200 से 250 रुपये का बिना किसी हील-हुज्जत के बिक जाता है।
कारतूस बिक्री के इसी काले बाज़ार को उजागर करने की कोशिश की है यूपी के एक तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी अमित पाठक ने। इस संबंध में आईपीएस ने एक जांच रिपोर्ट भी तैयार की है। सूत्रों की मानें तो जांच के दौरान यूपी के अकेले एक ज़िले में लाइसेंसी गन बेचने वाली दुकानों से 87 हजार कारतूस के गायब होने की बात सामने आ रही है। वहीं इस जांच रिपोर्ट के बाद डीजीपी ओपी सिंह और अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने कारतूसों की बिक्री के संबंध में एक गाइड लाइन जारी की है।
डीजीपी ओपी सिंह ने बातचीत में कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने इस संबंध में 28 अगस्त को कुछ और दिशा-निर्देश जारी किए हैं। प्रशासन के साथ मिलकर प्रदेशस्तर पर नियमित और प्रभावी अभियान चलाया जाएगा। फर्जीवाड़ा किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कारतूसों संग अब लाइसेंस की भी जांच की जाएगी। रणनीति कुछ इस तरह की होगी कि एक भी लाइसेंस जांच में छूटेगा नहीं।
यूपी के इस ज़िले में गायब चल रहे हैं 87 हजार कारतूस
जानकारों की मानें तो आईपीएस अमित पाठक ने आगरा में कारतूसों की जांच शुरू कराई थी। सूत्रों का कहना है कि आगरा में करीब 46486 हजार गन लाइसेंस हैं। थोड़े से वक्त में सभी लाइसेंस पर कारतूस की जांच करा पाना मुमकिन नहीं था, इसलिए आईपीएस ने 900 लाइसेंस की जांच कराई। जांच के दौरान 900 लाइसेंस पर करीब 1 लाख से अधिक कारतूस गन हाउस से जारी किए गए थे। नियमानुसार कारतूस इस्तेमाल करने के बाद उसका खोखा गन हाउस पर जमा कराना होता है। इसके बाद ही नए कारतूस जारी होते हैं। जांच में सामने आया कि 14 से 15 हजार खोखे ही लाइसेंस होल्डर ने जमा कराए। बाकी का कोई अतापता नहीं चला।
…तो क्या प्रदेशभर में करोड़ों कारतूस गायब हैं
अगर आगरा में हुई कारतूसों की जांच पर जाएं तो यूपी में कारतूस गायब होने का आंकड़ा करोड़ों में पहुंच जाता है। क्योंकि आगरा में करीब 46486 हजार लाइसेंस में से 900 लाइसेंस की जांच होने पर 87 हजार कारतूस गायब होने की बात सामने आ रही है। जबकि यूपी में 13 लाख से ज्यादा गन लाइसेंस बताए जा रहे हैं। ऐसे में अगर एक-एक लाइसेंस की जांच होती है तो गायब होने वाले कारतूसों का आंकड़ा करोड़ों में ही सामने आएगा।
इसलिए अपराधियों तक पहुंच रहे हैं गायब कारतूस
हर्ष फायरिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। समय-समय पर कोर्ट संज्ञान लेते हुए दिशा-निर्देश जारी करती रहती है। वहीं पुलिस का दावा है कि उसकी सख्त कार्रवाई के चलते हर्ष फायरिंग पूरी तरह से बंद नहीं हुई तो भी काफी हद तक इस पर रोक लगी है। अगर पुलिस के दावे को सच मान लिया जाए तो सवाल यह है कि फिर बड़ी संख्या में गायब हुए कारतूस कहां चले गए।
मामला खुला तो सख्त हुए डीजीपी और अपर मुख्य सचिव, जारी की गाइड लाइन
सूत्रों का कहना है कि आगरा में रहते हुए जिस आईपीएस अधिकारी ने कारतूसों की जांच की थी उसकी रिपोर्ट शासन के पास पहुंच चुकी है। रिपोर्ट खासी चौंकाने वाली बताई जा रही है। यही वजह है कि रिपोर्ट जमा होते ही शासनस्तर से कार्रवाई शुरू हो गई है। डीजीपी ओपी सिंह और अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने इस संबंध में एक लम्बी-चौड़ी गाइड लाइन कारतूस बिक्री को लेकर जारी की है। 22 अगस्त को जारी हुआ यह लैटर सभी ज़िला मजिस्ट्रेट और एसएसपी को लिखा गया है।