डॉ निज़ामुद्दीन ख़ान
केन्द्र की मोदी सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर संघ परिवार द्वारा चारों तरफ प्रचारित किया जा रहा है कि पीएम मोदी ने बहुत काम किया है। इस प्रचार में कामों का खुलासा कोई नहीं कर रहा है। यह अवश्य हुआ है कि जनता का ध्यान असली मुददों से हटाकर अनावश्यक बातों में उलझाने का काम किया गया है।
बीजेपी ने 2014 के चुनाव में अपने घोषणा पत्र में 22 बड़े वादे किये थे। इसमें प्रमुख रूप से हर साल 2 करोड़ नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराना, किसानों को उनकी लागत का डेढ गुना मूल्य देने की व्यवस्था करना, विदेशों में जमा कालाधन वापस लाकर प्रत्येक खाते में 15 लाख रूपये भेजना और सबका साथ सबका विकास आदि घोषणाएं थीं। इनमें से कोई भी वादा पूरी नहीं हो सका है।
बढ़ रही है बेरोज़गारी
इसके उलट आईटी सेक्टर की कम्पनियों में हजारों युवाओं की नौकरी से छुटटी हो गयी। अबतक 6 करोड़ नौजवानों को रोजगार मिल जाना चाहिए था परन्तु लगभग साढ़े तीन लाख लोगों को ही रोजगार उपलब्ध हो सका है। किसानों की आत्महत्याएं 41 प्रतिशत बढ़ गई है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र के बजट में कमी की गयी हैं जोकि जनता का बुनियादी अधिकार है। यह देश के विकास के सम्बन्ध में दुखद निर्णय है। गंगा को निर्मल बनाने के उद्देश्य से बीजेपी ने बड़े जोर शोर से प्रचार किया। परन्तु करोड़ों रूपया खर्च करने के बाद गंगा नदी आज भी वैसी गंदी है।
किसानों की हात खस्ता
विगत वर्षों में दालों और गेहूं की पैदावार लगभग 33 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई परन्तु व्यापार की कस्टम डयूटी छोड़ करके बाहरी लोगों को मौका दिया गया है। विदेशों से 40/किलो की दाल मंगाकर 120/किलो में बेचकर सरकार ने खुद व्यापार किया है और देशवासियों का शोषण किया है। इससे किसानों में बेचैनी है। हमारे कृषि प्रधान देष में खेती के बाद सबसे अधिक रोजगार पशुपालन से ही मिलता है। केन्द्र सरकार की दृष्टि में पशुपालन को प्रमुखता से महत्व नहीं दिया जा रहा है। जबकि दुग्ध उत्पादन में अपना देश अग्रणी रहा है। तीन वर्ष से बार बार अनावश्यक रूप से गाय का मामला भाजपाईयों द्वारा छेड़ा जाता है। सामाजिक समरसता समाप्त की जाती है और केन्द्र सरकार ऐसे लोगो को खुला संरक्षण देती है जो निंदनीय है।
मोदी की महिमामंडन
किसी के भी द्वारा केन्द्र सरकार का महिमा मण्डन किया जाना मनगढन्त ही होगा क्योंकि वास्तविक धरातल पर केन्द्र सरकार ने कोई काम जनहित में नहीं किया है। यह अवश्य है कि अरबों रूपया विदेशों में घूमने में केन्द्र सरकार ने खर्च किया है। देश का गरीब रोजी रोटी के तरसता रहा है।
खराब कानून व्यवस्था
कानून व्यवस्था के नाम पर सरकार बनाने वाली बीजेपी ने स्वयं भगवाधारी अपराधी पाल रखे हैं जो कानून व्यवस्था की धज्जियां उडा रहे है। ये अपराधी अपने आप को कानून से ऊपर मान रहे हैं। दलितों, पिछडों, अल्पसंख्यकों और कमजोरों पर जुल्म और अत्याचार बहुत बढ़ गए हैं। इन वर्गों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है। सरकार इस मामले में हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
अन्त में…
ये तो पहले से तय था कि बीजेपी सिर्फ मुद्दों को भड़का कर राजनीति कर रही है लेकिन सत्ता में आने के बाद उसमें इसमें खूब खेल केला है। कभी गाय तो कभी राष्ट्रवाद के नाम पर आम लोगों के किलाफ माहौल बनाया जा रहा है। ये न सिर्फ मुल्क के लिए बल्कि आम लोगों के लिए ठीक नहीं है। सरकार को संविधान का मान सम्मान करते हुए काम करना चाहिए। वैसे जनता अब 2019 के इंतज़ार में हैं।
(ये लेख के अपने विचार हैं। लेखक सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इन्डिया से जुड़े हैं और नेशनल क्वॉर्डीनेटर हैं)