फैसल रहमानी
पटना, बिहार
बिहार विधान सभा चुनाव में इस बार 24 मुस्लिम विधायक चुनाव जीत कर विधायक बने हैं। इनमें महागठबंधन में शामिल दलों से 22 विधायक बने हैं। एनडीए और सीपीआई (एमएल) से एक-एक मुस्लिम विधायक चुनाव जीते हैं। इनमें से सबसे ज़्यादा 11 विधायक आरजेडी के टिकट पर जीते हैं।
24 में से 11 मुसलमान विधायक आरजेडी से चुनाव जीत कर आएं हैं। 6 कांग्रेस से और 5 जेडीयू से चुनाव से चुनाव जीते हैं। बीजेपी के 53 उम्मीदवारों में से सिर्फ एक को जीत मिली। सीपीआई (एमएल) से एक मुस्लिम ने जीत हासिल की है।
क्रम संख्या | राजनीतिक दल | जीती सीट | मुस्लिम विधायक | जीत प्रतिशत |
1 | आरजेडी | 80 | 11 | 14 % |
2 | कांग्रेस | 27 | 06 | 22 % |
3 | जेडीयू | 71 | 05 | 07 % |
4 | बीजेपी | 53 | 01 | 02 % |
5 | सीपीआई (एमएल) | 03 | 01 | 33 % |
6 | अन्य | 11 | 00 | 00 |
7 | कुल सीट | 243 | 24 | 10 % |
विधान सभा चुनाव में बीजेपी दो मुसलमानों को टिकट दिया था। इनमें से मोहम्मद जावेद किशनगंज की अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। दूसरे मौजूदा विधायक सबा ज़फर अमौर से चुनाव हार गए। उन्हें कांग्रेस के अब्दुल जलील शिकस्त दी। सीमांचल इलाके में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम ने 6 उम्मीदवार उतारे थे। यहां ज़्यादातर सीटों पर जेडीयू और कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली हैं।
बिहार में राज्य में मुसलमानों की आबादी करीब 17 फ़ीसदी है। सबसे पहले नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन की बात करें तो इस बार महागठबंधन ने 33 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था। इसमें आरजेडी ने 17, कांग्रेस 9 और जेडीयू ने 7 मुसलमान उम्मीदवारों को मैदान में उतारा।
महागठबंधन में मुस्लिम उम्मीदवार (कुल सीट- 243)
पार्टी | सीट | मुस्लिम उम्मीदवार |
आरजेडी | 101 | 17 |
कांग्रेस | 41 | 9 |
जेडीयू | 101 | 7 |
दूसरी तरफ एनडीए की बात करें तो इस गठबंधन ने महज़ 9 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था। इसमें हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने 4, बीजेपी ने 2, लोक जनशक्ति पार्टी ने 2, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने 1 मुस्लिम उम्मीवार को चुनावी दंगल में उतारा था।
एनडीए में मुस्लिम उम्मीदवार (कुल सीट- 243)
पार्टी | सीट | मुस्लिम उम्मीदवार |
बीजेपी | 160 | 02 |
एलजेपी | 40 | 02 |
आरएलएसपी | 23 | 01 |
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा | 20 | 04 |
बिहार के चुनावी इतिहास पर नज़र डालें तो सबसे ज़्यादा मुसलमान विधायक 1985 के विधानसभा में चुनाव जीत कर आये थे। 324 सदस्यीय विधानसभा में 34 थी, जो कुल विधायकों की संख्या का 10.50 फीसद था। 1985 में जनता पार्टी की टूट के बाद कांग्रेस की सरकार बनी। इस बीच मुस्लिम प्रतिनिधित्व धीरे-धीरे घटता रहा। जनता दल और राजद सरकारों के कार्यकाल में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व घटकर 8.5 फ़ीसदी से भी कम हो गया। साल 2010 के विधान सभा चुनाव में महज़ 19 मुस्लिम चुनाव जीत कर विधायक बन पाए।
बिहार विधान सभा में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व-
साल | मुस्लिम विधायक | साल | मुस्लिम विधायक |
1952 | 24 | 1985 | 34 |
1957 | 25 | 1990 | 20 |
1962 | 21 | 1995 | 19 |
1967 | 18 | 2000 | 20 |
1969 | 19 | 2005 | 24 (विधान सभा का गठन नहीं हो पाया) |
1972 | 25 | 2005 | 16 |
1977 | 25 | 2010 | 15 |
1980 | 28 |
राजनीतिक मामलों के जानकार डॉ असफ़र सईद का कहना है कि आज़ादी के बाद बिहार की राजनीति में मुसलमानों की भागीदारी पड़ोसी राज्यों की अपेक्षा बढ़ी है। हालांकि फ़िल वक़्त उनकी नुमाइंदगी का यह अनुपात उनकी आबादी के अनुपात में आज भी कम है।
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