न्यूयॉर्क, अमेरिका
भारत समेत दुनिया के 128 देशों ने यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली में येरूशलम को इज़रायल की राजधानी घोषित करने के फैसले का विरोध किया। इस संबंध में गुरुवार को यूएनजीए में रेजोल्यूशन पेश किया था। इसमें येरूशलम को इजरायल की राजधानी न मानने की बात कही गई थी। दुनिया के 128 देशों ने इस रेजोल्यूशन का समर्थन किया जबकि सिर्फ 9 देशों ने इसके विरोध में वोट डाला। वहीं 35 देशों ने इससे दूरी बनाए रखी।
इस रेज्यूलेशन के पास हो जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति की पूरी दुनिया के किरकिरी हो गई। अमेरिका ने पूरी दुनिया को नजरअंदाज करते हुए 6 दिसंबर को देर रात येरूशलम को इज़रायल की राजधानी घोषित कर दिया था। ट्रम्प ने कहा था कि अमेरिका अपनी एम्बेसी तेल अवीव से इस पवित्र शहर में ले जाएगा।
मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने धमकी दी थी कि जो देश यूएन रेजोल्यूशन के फेवर में वोट देगा, उसे दी जाने वाली मदद में कटौती की जाएगी। येरूशलम के मुद्दे पर यूएन में अमेरिका अलग-थलग खड़ा नज़र आया। कई पश्चिमी और अरब देशों ने उसका विरोध किया। मिस्र, जॉर्डन और इराक जैसे देशों ने भी उसके विरोध में वोटिंग की। इन देशों को अमेरिका बड़ी वित्तीय और मिलिट्री सहायता देता है। यूएन में अमेरिकी एम्बेसडर निक्की हेली ने कहा, “अमेरिका यूएन में हुए विरोध को याद रखेगा।”
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, “येरूशलम हमारी राजधानी है, थी और रहेगी। लेकिन कई देशों ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया। इसे बेतुका कहा जा सकता है।” बता दें कि 1967 में जंग के बाद इजरायल ने ईस्ट येरूशलम पर कब्जा कर लिया था, जबकि फिलीस्तीन भी उसे अपनी राजधानी मानता है। 1948 में इजरायल ने आज़ादी की घोषणा की थी। यहां किसी भी देश की एम्बेसी नहीं है। 86 देशों की एम्बेसी तेल अवीव में हैं।