बिहार के सीमांचल रीजन से मैदान में उतरेगी एमआईएम
दिल्ली
एमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एलान किया है कि एमआईएम बिहार में चुनाव लड़ेगी। एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव पर सीमांचल क्षेत्र की अनदेखी करने का आरोप लगाया। सांसद ओवैसी ने कहा कि राज्य की दूसरी सीटों पर उनके समर्थक सांप्रदायिक ताकतों को हराने वाले उम्मीदवार का समर्थन करेंगे। प्रेस कांफ्रेंस में एमआईएम की बिहार यूनिट के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान भी ओवैसी के साथ थे। अभी ये तय नहीं हुआ है कि एमआईएम कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पार्टी ने बिहार यूनिट विचार करके सीमांचल इलाके में चुनाल मैदान में उतरने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि क्या वजह है कि सीमांचल का क्षेत्र इतना पिछड़ा हुआ है। बिहार में पिछले कई सालों से लालू प्रसाद और नीतीश कुमार का राज रहा है, फिर भी इस इलाके का विकास नहीं हुआ। ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी सीमांचल की आवाज़ विधान सभा में के लिए चुनाव में उतर रही है। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर उन्हें इस इलाके से जीत हासिल होती है तो वह सीमांचल के लिए धारा 371 के तहत अलग से डेवलपमेंटल कौंसिल बनाने के लिए आवाज़ उठाएंगे। ओवैसी ने कहा कि पार्टी की बिहार यूनिट ने सीमांचल में ही चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी ये फैसला अभी नहीं हुआ है। राज्य की बाकी सीटों पर हमारे समर्थक सांप्रदायिक ताकतों को हराने वाले उम्मीवार का समर्थन करेंगे।
बिहार में एमआईएम के चुनाव में उतरने से सेक्यूलर वोटों के बंटने के सवाल ओवैसी ने कहा कि लोक सभा चुनाव में बिहार में किसकी वजह बीजेपी को जीत मिली। ओवैसी ने सख्त लहजे में कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और अब दिल्ली युनिवर्सिटी के छात्रसंघ के चुनाव में क्या उनका साया चुनाव मैदान में गया था। उन्होंने कहा कि दरअसल सेक्यूलर के नाम पर राजनीति करने वाले दल अब फेल हो चुके हैं। जनता ने उनकी झूठी राजनीति को नकार दिया है। सांसद ओवैसी ने कहा कि इल्ज़ाम लगाना बहुत आसान है, कोई साबित करके दिखाए।
सीमांचल ही क्यों
बिहार का सीमांचल इलाका अन्य इलाकों के मुकाबले ज़्यादा पिछड़ा हुआ है। इस क्षेत्र में बिहार के चार ज़िले आते हैं। इनमें किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार शामिल हैं। इस क्षेत्र में मुसलमानों की कुल आबादी 40 फीसदी के करीब है। किशनगंज ज़िले में 69 फीसदी मुसलमानों की आबादी है। किशनगंज की सभी सीटें, अररिया की 2, पूर्णिया की 2 और कटिहार की एक सीट मुस्लिम बहुल्य है। एमआईएम का इस इलाके से चुनाव लड़ने का फैसला एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा लग रहा हैं। दरअसल एमआईएम मुस्लिम बहुल्य इलाके में अपनी पकड़ को मज़बूत करना चाह रही है।