कठिन दौर से गुजर रहे हैं भारतीय लेखक
फ़ैसल रहमानी
हिंदुवादी संगठन ‘हनुमान सेना’ ने मशहूर मलयालम लेखक एम एम बशीर को धमकी दी है कि वह रामायण पर किताब न लिखे। ‘हनुमान सेना’ ने कहा है कि एम एम बशीर अगर रामायण पर किताब लिखते हैं तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। ‘हनुमान सेना’ से मिली धमकियों के बाद साहित्यिक आलोचक और लेखक एम एम बशीर ने कहा है कि “रामायण पर मेरी किताब शीघ्र ही आएगी। एक मुसलमान द्वारा रामायण लिखने का विरोध करने वालों के लिए यह एक करारा जवाब होगा।“ एमएम बशीर ने दबाव की वजह से लेखन रोक देने की खबरों को गलत ठहराते हुए ज़ोर देकर कहा है कि वे ऐसे किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे।
खबरों में कहा गया है कि ‘हनुमान सेना’ से मिली धमकियों के बाद रामायण पर उनके छह लेखों की सीरीज़ में आखिरी को अखबार “मातृभूमि” ने छापने से रोक दिया है। अखबार इंडियन एक्सप्रेस में अमृतलाल की एक खबर Hindutva voices force Kerala scholar to stop Ramayana column in newspaper में कहा गया है कि मुस्लिस होते हुए भी एम एम बशीर को रामायण लिखने पर फोन पर मिली धमकियों के वजह से उन्हें अपना आखिरी लेख रोकना पड़ा था। केरल के ‘हनुमान सेना’ के दबाव में स्थानीय अखबार “मातृभूमि” ने बशीर के लेखन सीरीज़ के कुछ लेखों का प्रकाशन रोक लिया था। इसके बाद ‘हनुमान सेना’ ने अखबार की तारीफ की थी।
एक अंग्रेजी न्यूज़ पोर्टल के मुताबिक कोझिकोड के पुथिया पालम इलाके में हनुमान सेना के दफ़्तर की दीवारें प्लेकार्ड्स से पटी हुई हैं, जिसमें से एक पर लिखा है – “Forsake your subscription of Mathrubhumi which has insulted Lord Sri Rama Chandra”.
केरल में मनाए जाने वाले करक्कीडकम माह, जिसे रामायण माह भी कहा जाता है, के अवसर पर मलयालम अखबार “मातृभूमि” ने रामायण पर “अत्यंत श्रद्धा के साथ राम की कहानियां” नाम से लेखों की एक सीरीज़ प्रकाशित की थी। इस सीरीज़ में एम एम बशीर के साथ-साथ स्व. एस गुप्तन नायर, केरल के एडीजी बी संध्या और वैदिक विद्वान थुरावुर विश्वम्भरन के लेख भी शामिल थे। बशीर मलयालम साहित्य में आधुनिकतावादी आंदोलन के साथ संबद्ध रखते हैं।
अखबार देशबन्धु की खबर के मुताबिक लेखक बशीर ने कहा है कि “कई धमकियों के बावजूद मैंने लेखों की श्रृंखला पूरी की। मैं जब तक जीवित रहूंगा, तब तक लिखना जारी रखूंगा।” देशबन्धु के मुताबिक बशीर ने कहा, “मैंने अखबार के दफ्तर के बाहर, अखबार को हिंदू विरोधी करार देते और एक मुसलमान को रामायण लिखने देने के लिए अखबार का बहिष्कार करने की धमकी भरे पोस्टर देखे थे।” बशीर ने बताया कि अखबार “मातृभूमि” ने उनसे कहा था कि वे धमकियों के चलते आखिरी लेख रोक रहे हैं, लेकिन मैंने इसे कभी नहीं रोका। लेख छपने के बाद मुझे कम से कम 250 कॉल आए। राम या रामायण की उन्हें कोई समझ नहीं थी, उन्हें केवल इस बात से मतलब था कि एक मुसलमान ने रामायण क्यों लिखी।” एम एम बशीर ने कहा कि कॉल करने वाले इस बात से गुस्से में थे कि लेख में राम का मानव के रूप में क्यों चित्रण किया गया था। बशीर ने साफ किया कि मैंने केवल वाल्मीकि रामायण को आधार बनाकर ही रामायण लिखा है। वाल्मीकि ने भी राम का मानव चित्रण करते हुए उनके कर्मो की आलोचना की थी।
लेखक एम एम बशीर ने कहा, “75 वर्ष की उम्र में केवल एक मुसलमान के तौर पर देखे जाने से मैं दुखी हूं क्योंकि मैंने कभी भी केवल एक मुसलमान के रूप में अपना जीवन नहीं जिया।” लेखक बशीर ने अखबार देशबंधु से कहा कि भारत में रामायण के 700 से अधिक संस्करण हैं और कई लेखकों ने कहानी को अलग तरीके से लिखा है। यहां तक कि एक संस्करण में सीता को रावण की पुत्री बताया गया है। केरल में 25 से अधिक संस्करण हैं, जिसमें एक मुस्लिम संस्करण ‘मप्पिलाह रामायणम’ भी शामिल है।
केरल के कालीकट विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे बशीर ने मलयालम काव्य पर 40 से अधिक लेख लिखे हैं। धमकी मिलने के बाद लेखक एम एम बशीर ने कहा कि भारत के लेखक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। ऐसी घटनाएं विचारों की स्वतंत्रता को दबाने की बढ़ती प्रवृत्ति दर्शाती हैं। बशीर ने कहा कि रामायण पर मेरी किताब शीघ्र ही आएगी। एक मुसलमान द्वारा रामायण लिखने का विरोध करने वालों के लिए यह एक करारा जवाब होगा। मालूम हो कि इससे पहले तमिल लेखक पेरूमल मुरुगन को लिखने पर धमकी देने और लेखक एम एम कलबुर्गी की हत्या किए जाने के बाद भारत में विचारों की स्वतंत्रता को दबाने की बढ़ती प्रवृत्ति दर्शाती हैं। आज़ादी के बाद शायद ये पहला मौका है जब साहित्यकारों को न लिखने की धमकियां दी जा रही हैं।