अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ‘सर सैयद डे’ कार्यक्रम
अलीगढ़
केरल के शिक्षा और सांस्कृतिक मंत्री पी के अब्दु रब ने कहा कि सर सैयद अहमद के ज़माने की तरह आज भी अलीगढ़ आंदोलन की सख़्त ज़रूरत है। इस मुल्क में मुसलमान आज भी शिक्षा के मामले में काफी पीछे है। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट इसका जीता-जागता उदाहरण है। अब्दू रब आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आयोजित सर सैयद अहमद खां की 198 वीं यौमे-पैदाइश समारोह में बोल कर रहे थे।
हर साल की तरह इस साल भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कैनेडी हाल ये कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि केरल के शिक्षा और सांस्कृतिक मंत्री पी के अब्दु रब शामिल हुए। छात्रों से भरे केनेडी हाल में अपनी बात शुरु करते हुए मंत्री पी के अब्दु रब ने अपने पुराने दिनों को याद किया जब वे एएमयू के छात्र थे। उन्होंने बताया कि वह सुलेमान हाल के जय किशन हास्टल में रहते थे। उन्होंने कहा कि आज एएमयू में काफी कुछ बदल गया है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सर सैयद अहमद 1872 में कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पास 1882 स्नातक छात्रों में से सिर्फ 57 मुसलमानों की संख्या को देखकर काफी निराश हुए। उसी समय उन्होंने इसके लिए कुछ करने का फैसला किया। सर सैयद अहमद ने सबसे पहले शिक्षा के प्रति मुसलमानों में जागरूकता पैदा करने के लिए सर सैयद तहज़ीबुल अखलाक और साइंटिफिक सोसाइटी बनाई।
मंत्री अब्दू रब ने बताया कि सर सैयद अहमद खां इस बीच इंग्लैंड के दौरे पर गए। इंग्लैंड जाकर वहां की शिक्षण संस्थाओं कैम्ब्रिज और आक्सफोर्ड को करीब से देखा और इन संस्थाओं के बारे में जानकारी हासिल की। उसके बाद सर सैयद अहमद हिंदुस्तान लौटकर आए और उन्हीं सस्थाओं की तर्ज़ पर एएमयू की स्थापना की। इसके लिए सर सैयद अहमद ने बहुत मेहनत की, पूरे मुल्क में धूम-धूम पैसे इकट्ठे किए। तक कहीं जाकर उनका ख्वाब पूरा हुआ।
मंत्री अब्दू रब ने कहा कि एएमयू इस मुल्क का बेहतरीन संस्थान है। इसकी संस्कृति केवल गंगा जमुना तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसकी खुशबू पूरे देश में महसूस की जा सकती है। अब्दू रब ने कहा कि आज फिर से एएमयू जैसी संस्थाएं स्थापित किए जाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही एकजुट होकर अलीगढ़ आंदोलन को दोबारा ज़िंदा करके पूरे मुल्क में चलाने की ज़रूरत है।
एएमयू के वीसी ले. जनरल (रिटायर्ड) जमीरउद्दीन शाह ने कहा कि साल 2017 में सर सैयद अहमद खां की 200 वीं जयंती है। हम लोग 2017 तक एएमयू को देश की नंबर वन यूनिवर्सिटी बनाएंगे। इसके लिए सभी को क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद और आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होकर काम करना होगा। सर सैयद दिवस समारोह में वीसी जमीरउद्दीन शाह ने गमगीन और आक्रोशित छात्रों का दिल जीतने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि एएमयू में गम के माहौल में वह खुद शामिल हैं और ये बेहद अफसोसजनक है कि हमारा छात्र आलमगीर शहीद हो गया। ले. जनरल (रिटायर्ड) जमीरउद्दीन शाह ने कहा कि वीसी लॉज के सामने आलमगीर हत्याकांड की सीबीआई जांच के लिए चल रहा अनिश्चितकालीन धरना लोकतांत्रिक है। वीसी ने कहा कि एएमयू को देश की नंबर टू यूनिवर्सिटी बनाने में शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान है। पिछले तीन साल से लगातार एकेडमिक एक्टिविटी सुचारु रूप से चल रही है, जिसे आगे भी नहीं रुकने देंगे। उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल स्तर का स्वीमिंग पूल अगले सत्र तक बनकर तैयार हो जाएगा। इसमें पहली डुबकी वे खुद लगाएंगे।
सर सैयद डे के इस समारोह में एएमयू इंटर डिसिप्लीनरी बायोटेक्नोलॉजी यूनिट के कोआर्डिनेटर प्रो रिज़वान हसन खान को साल 2015 का आउटस्टैडिंग रिसर्चर ऑफ दी ईयर एवार्ड दिया गया। ये एवार्ड उनके द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में किए गए शानदार काम के लिए दिया गया। इस एवार्ड में बतौर पुरस्कार उन्हें एक लाख रुपये की राशि और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। इसके अलावा अखिल भारतीय निबंध प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल करने वाली एएमयू की अलवीरा सिद्दीकी को 25 हज़ार और तीसरा स्थान हासिल करने वाले कालीकट के नूरउद्दीन मुस्तफा को 10 हजार रुपये का चेक और मोमेंटो प्रदान किया गया।
वीसी ले. जनरल (रिटायर्ड) जमीरउद्दीन शाह ने एएमयू की उपलब्धियों और कैंपस में छात्र, शिक्षक और कर्मचारियों के लिए चल रहे कार्यों से भी अतिथियों को अवगत कराया। समारोह को प्रो रोमाना सिद्दीकी, डॉ एम मोहिबुल हक, वरदा आरिफ, अब्दुर रकीब समेत कई लोगों ने संबोधित किया। डीएसडब्लू प्रो अनीस इस्माईल ने आए हुए लोगों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस समारोह का संचालन डॉ एफ एस शीरानी और फायज़ा अब्बासी ने किया। इससे पहले पाकिस्तान से आए एलुमनाई ब्रिगेडियर इकबाल एम शफी ने सर सैयद अहमद की ज़िंदगी पर आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।