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लखनऊ
सरकारी अनुदान पाने के लिए कागज़ी मदरसे चलाने का खेल जारी है। मेरठ ज़िले में 18 मदरसे फर्ज़ी पाए गए हैं। खास बात ये है कि इनमें कई मदरसे तो ऐसे हैं, जो केंद्र सरकार की मदरसा आधुनिकीकरण योजना में चयनित भी हो चुके हैं। वहीं गोंडा और सीतापुर में भी फर्जी मदरसों की बात सामने आई है। दोनों जिलों से मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत अनुदान के लिए 200-200 आवेदन आने पर यह शक बढ़ा है। इसको लेकर अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय ने जांच शुरू कर दी है।
मेरठ ज़िले में फर्जी मदरसों की कई शिकायतें अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के पास आई थी। निदेशालय ने फर्ज़ी की आशंका पर इसकी जांच ज़िला प्रशासन से करवाई। ज़िला प्रशासन ने इन मदरसों की बारीकी से जांच की और अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मेरठ में 18 मदरसे सिर्फ कागजों पर चल रहे हैं। मौके पर मदरसा की बिल्डिंग और छात्र नहीं मिले। निदेशालय ने इन पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। साल 2003 में पूरे प्रदेश में 118 फर्ज़ी मदरसे पकड़े गए थे। उस समय भी सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा मेरठ ज़िले में सामने आया था। वहां 34 मदरसे सिर्फ कागजों पर चलते पाए गए थे।
वहीं, गोंडा और सीतापुर से भी केंद्र सरकार की मदरसा आधुनिकीकरण योजना में 200-200 नए आवेदन पत्र आने से अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय को शक हुआ। निदेशालय के अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच कराने के निर्देश दिए हैं। जांच के लिए दो टीमें भी गठित कर दी गई हैं। इसमें सहायक निदेशक के साथ दो ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शामिल हैं। दोनों टीमों को जांच कर जल्द रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। निदेशालय के अधिकारी कई और ज़िलों में भी इस तरह के फर्जीवाड़े की आशंका जता रहे हैं।
मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत केंद्र सरकार मदरसों में मुस्लिम बच्चों को गुणवत्ता और आधुनिक शिक्षा देने के लिए अनुदान देती है। मदरसों में पारंपरिक शिक्षा के अलावा साइंस, मैथ, भाषा और सोशल अध्ययन जैसे विषय पढ़ाने के लिए टीचर को भी इस योजना में अनुदान मिलता है। हर मदरसे में पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक को 12 हजार, ग्रेजुएट शिक्षक को छह हजार और अंडर ग्रेजुएट शिक्षक को तीन हजार रुपये हर माह अनुदान मिलता है। हाईस्कूल और इससे ऊपर के मदरसों में कंप्यूटर लैब विकसित करने के लिए एक लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है। साइंस लैब के लिए भी केंद्र सरकार अलग से अनुदान देती है। साथ ही कंप्यूटर और साइंस दोनों लैब के लिए सरकार सालाना रखरखाव का बजट भी देती है। इसके साथ किताब और लाइब्रेरी के नाम पर भी 50 हजार रुपये सरकार से मिलते हैं। इसी का फायदा उठाने के लिए शिक्षा माफिया फर्ज़ी मदरसों का खेल कर रहे हैं।