बागपत
मोईन खां अपने बेटे की शादी में अजीब उलझन में थे। मोईन खां इस्लामी तौर तरीकों से बेटे की शादी करने का इरादा किया था। वो पांच बाराती ले जाना चाहते थे और तैयार थे पचास। ऐसे तो शादी सादगी से होनी मुश्किल थी। इसलिए तय किया गया कि लॉटरी डालें, जिसका नाम निकला वही बारात में जाएगा। नाम की पर्चियां डाली गईं और दूल्हे के पिता मोईन खां का ही नाम नहीं निकला। लिहाजा वे भी घर पर ही रहे। सुनने में ये भले कोई कहानी लगे पर ये सच वाकया पेश आया लोनी के मुस्ताफाबाद मोहल्ले के निवासी मोईन खां के घर में।
सूरजपुर महनवा गांव निवासी बशीर खां ने अपनी लड़की आबिदा की शादी मोईन खां के लड़के नईम के साथ तय की थी। दरअसल इस परिवार ने पांच बाराती लेकर जाने और बिना दान-दहेज के इस्लामी तरीके से शादी करने का इरादा किया था। बारात में आए दूल्हे के चचा हाकिम अली ने बताया कि परिवार के अधिकतर लोग शादी में जाने की जिद कर रहे थे। ऐसे में लॉटरी निकाली गई। इस लाटरी में दूल्हे के मामा छोटे, उनका (चाचा हाकिम), बहनोई आसिफ, फूफा शाबू का नाम निकला। दूल्हे के पिता का नाम भी नहीं निकला, लिहाजा वे भी बारात में शरीक नहीं हो सके।
दुल्हन आबिदा का पिता बशीर खां ने बताया कि उन्होंने पूरी बारात के खाने-पीने के इंतजाम से लेकर उपहार देने की तैयारी कर ली थी, मगर लड़के वालों ने पांच बाराती और बिना दहेज के शादी करने की बात हमारे सामने रखी। जिसे हमने भी मान लिया। मैं बहुत खुश और खुशकिस्मत हूँ कि लड़की को इतने अच्छे ससुराल वाले मिले हैं।
इलाके के मशहूर मौलाना जहीर अहमद कासमी कहते हैं कि आज के समय में शादी से पहले ही दहेज की मांग कर दी जाती है मगर लोनी के मोईन खां के परिवार ने अलग तरह से शादी कर हर किसी को सीख दी है। इस परिवार की जितनी भी सराहना की जाए, कम है।
दुल्हन के पड़ोस में रहने वाले बाबूराम शर्मा इस शादी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। शर्मा कहते हैं कि बिना दान दहेज व लॉटरी के बाद पांच बाराती के साथ दुल्हन को अपने साथ ले जाने का लोनी के परिवार का निर्णय काबिले तारीफ है। हमारे समाज को भी इस परिवार से सीख लेनी चाहिए।