लखनऊ ब्यूरो
प्रेस क्लब लखनऊ में ‘यूपी इत्तेहाद फ्रंट’ के नेताओं ने प्रेस कांफ्रेस की। इस मौके पर मौजूद इत्तेहाद फ्रंट में शामिल पार्टियों के अध्यक्षों से पीएनएस न्यूज़ एजेंसी ने एक-एक सवाल किया।
पीएनएस न्यूज़ एजेंसी- मुल्क में जब भी किसी राजनीतिक दल की क्यादत कोई मुसलमान करता है तो उस पर ये इल्ज़ाम लगा दिया जाता है कि बीजेपी ने पैसा देकर वोट बांटने के लिए खड़ा किया है ?
मौलाना आमिर रशादी (अध्यक्ष- राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल)- कांग्रेस, बीएसपी, सपा जैसे राजनीतिक दल मुस्लिम वोट की राजनीति करते हैं। इन पार्टियों के नेता सिर्फ इल्ज़ाम लगाते हैं, जबकि हम सबूतों के साथ कह रहे हैं कि ये तीनों दल बीजेपी के एजेंट हैं। क्या मुलायम सिंह यादव के लालकृष्ण आडवाणी के अच्छे ताल्लुकात नहीं हैं ? क्या 2004 में बीजेपी ने सपा का सपोर्ट नहीं किया ? क्या मुलायम सिंह यादव ने कल्याण सिंह से दोस्ती नहीं निभाई ? क्या बीएसपी ने बीजेपी के साथ मिलकर तीन बार सरकार नहीं बनाई ? क्या 2014 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को वाकओवर नहीं दिया ? इन दलों के पास इन सवालों का जवाब है जो मैंने उठाया है। इस सवालों का एक ही जवाब है… हां और ये तो ऐसे पक्के सबूत हैं जो हर कोई जानता है। क्या इन तथाकथित सेक्यूलर दलों के पास हमारे खिलाफ कोई सबूत है, अगर है तो सामने क्यों नहीं ला रहें हैं। सिर्फ इल्ज़ाम लगाने से काम नहीं चलेगा अब जवाब देना पड़ेगा।
पीएनएस न्यूज़ एजेंसी- क्या ‘यूपी इत्तेहाद फ्रंट’ में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम को शामिल किया जाएगा ?
सलीम पीरज़ादा (अध्यक्ष- परचम पार्टी ऑफ इंडिया)- देखिए… हमने यूपी में एक विकल्प तैयार करने के लिए छोटे दलों का गठबंधन बनाया है। हमने सभी छोटे दलों से अपील की है कि वह इस फ्रंट में शामिल हों। किसी को खास तौर पर न्यौता नहीं भेजा गया है। अगर एमआईएम इत्तेहाद फ्रंट में शामिल होती है तो उसका स्वागत है। कुछ मुद्दों पर ज़रूर हमारा उनसे वैचारिक मतभेद हो सकता है, पर सत्ता में बैठे कारपोरेट्स के समर्थकों को सत्ता से हटाना और वंचित समाज को उनका हक दिलाना ही हमारा मकसद है। एमआईएम जब यूपी में नहीं आई थी तो हमने उनसे कहा कि जब भी यूपी में राजनीति करने आए तो हम साथ में बैठकर बात करेंगे, क्योंकि जो माहौल हैदराबाद में है वो यहां यूपी में नहीं है। खैर.. लोकतंत्र में सभी को राजनीति करने का अधिकार है।
पीएनएस न्यूज़ एजेंसी- चुनाव से पहले जनता के तमाम मुद्दों पर बात होती है। आप जनता के बीच जाकर सरकार की कमियां बताते हैं, लेकिन ऐन चुनाव के वक्त सांप्रदायिकता का हव्वा खड़ा करके, बीजेपी से डर दिखाकर माहौल बदल दिया जाता है। ऐसे में आप इस बार क्या रणनीति अपनाएंगे कि चुनाव मुद्दों पर ही लड़ा जाए ?
मोहम्मद सुलेमान (अध्यक्ष- इंडियन मुस्लिम लीग)- हम इस बार कोशिश कर रहे हैं कि गरीब, समाज के वंचित लोग इस बात को समझे और अपने अधिकारों की लड़ाई खुद लड़े। हम उन्हें लगातार बता रहे हैं, इसके लिए हम कई शहरों में रैली कर रहे हैं, जन अभियान चला रहे हैं। इसकी शुरुआत आज़मगढ़ से हो रही है। थोड़ा वक्त तो लगेगा पर बदलाव आएगा। जनता अब इन बड़े दलों के झांसे में आने वाली नहीं है। समाज के सबसे निचले तबके के लोग भी राजनीति में आ रहे हैं, ये बदलाव का संकेत है।