बरेली, एजेंसी
दरगाह आला हज़रत ने अपने मदरसा सिलेबस में आतंकवाद के खिलाफ एक चैप्टर जोड़ने का फैसला किया है। ‘इस्लाम और आतंकवाद’ नाम से यह चैप्टर केवल ग्रैजुएशन कोर्स में शामिल किया जा रहा है। दरगाह का कहना है कि आतंकवादी संगठन मुस्लिम नौजवानों को कुरान और हदीस की गलत जानकारी देकर अपने जाल में फंसा लेते हैं। इससे निपटने के लिए यह जरूरी है कि नौजवानों को सही जानकारी दी जाए। मालूम हो कि इससे पहले दरगाह आला हज़रत ने आतंकवादियों की नमाज-ए-जनाजा में शामिल न होने का फतवा जारी किया था।
दरगाह आला हज़रत का कहना है कि वह अपने स्टूडेंट्स को कुरान की सही सीख देगा। दरगाह का कहना है कि आतंकवादी संगठन कुरान और हदीस का गलत मतलब निकाल रहे हैं। यही वजह है कि मुस्लिम नौजवान उनके झांसे में आ रहे हैं। आला हजरत की तरफ से चलाए जाने वाले ‘जामिया रजविया मंजर-ए-इस्लाम’ मदरसे में रेग्युलर वर्कशॉप करने का भी फैसला किया गया है, ताकि छात्र ग्रैजुएशन यानी फाज़िल डिग्री के वक्त इस्लाम को सही तरीके से समझ सकें और बाद में अपने जूनियर्स को इस बारे में बता सकें।
जानकारों का कहना है कि कई टेररिस्ट ग्रुप जैसे आईएसआईएस, अल कायदा और तालिबान कुरान और हदीस में कही बातों की गलत व्याख्या करते हैं। दरअसल, ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इस्लाम की तमाम धार्मिक किताबें अरबी में लिखी गई हैं। आतंकी संगठन मुस्लिम यूथ को इन पवित्र किताबों की गलत जानकारी देते हैं।
दरगाह आला हज़रत बरेली के मदरसा जामिया रजविया मंजर-ए-इस्लाम की स्थापना आला हजरत इमाम अहमद राजा खान ने की थी। इसे 1904 में छात्रों को लिए शुरू किया गया था। इमाम रज़ा खान ने ही बरेलवी मूवमेंट शुरू किया था। इस मदरसे में 1200 छात्र शिक्षा ग्राहण कर रहे हैं। दरगाह आला हजरत के सदर हजरत सुभान राजा खान का कहना है कि इस्लाम के नाम पर कुछ संगठन आतंकवाद फैला रहे हैं। इससे लोगों के मन में इस्लाम की छवि खराब हो रही है। हम चाहते हैं कि अपने मदरसों के माध्यम से हम इस्लाम की सही सीख लोगों तक पहुंचा सकें। बता दें कि इसी साल ईद के मौके पर इस संगठन ने एक फतवा जारी करते हुए कहा था कि आतंकवाद से जुड़े किसी भी शख्स की मौत के बाद उसके नमाज-ए-जनाजा में शामिल नहीं होना चाहिए।
achchi pahel hai bhai, allah aur is ko bulandiyon par le jaye, take samaj ki sewa zeyada sw zyada ho sake,