अशफाक़ अहमद, लखनऊ/आज़मगढ
पंचायत चुनाव की तारीखों का एलान होते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। एमआईएम के पंचायत चुनाव में उतरने की अटकलों के बीच कई दलों के लोग परेशान हैं। एमआईएम ने अभी अधिकारिक रूप से चुनाव लड़ने को लेकर कोई फैसला नहीं किया है, पर सूत्रों की माने तो पार्टी का पंचायत चुनाव में उतरना लगभग तय है।
एमआईएम के प्रदेश संयोजक शौकत अली का कहना है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और पार्टी अध्यक्ष ने पंचायत चुनाव में उतरने न उतरने का फैसला करने के लिए प्रदेश यूनिट को अधिकृत किया है। शौकत अली का कहना है कि पार्टी की प्रदेश यूनिट एक हफ्ते में बैठक करके पंचायत चुनाव लड़ने के बारे में फैसला करेगी। प्रदेश संयोजक का ये भी कहना है कि पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता पंचायत चुनाव में उतरने के हिमायती है।
पार्टी के नेता हामिद संजरी ने पीएनएस से बात करते हुए कहा कि पंचायत चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं में जोश है। हामिद संजरी ने कहा कि प्रदेश के करीब हर ज़िले से लोग पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि एमआईएम की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर कई दल परेशान हैं।
एमआईएम की नज़र करीब दो साल पहले यूपी पर टिकी। पार्टी सदर ने कुछ मेहनती नौजवानों को यूपी की कमान सौंपी। इसमें शौकत अली, कलीम जामई, हामिद संजरी, अबुल कलाम आज़मी, ज़ाहिद शहबाज़ जैसे नौजवान शामिल थे। इन्होंने पूरी यूपी में पार्टी को खड़ा किया। एमआईएम के पहली बार यूपी के चुनाव मैदान में उतरने की अटकलों के बीच समाजवादी पार्टी, बीएससी में बेचैनी साफ देखी जा रही है। कांग्रेस खेमे में इस मुद्दे पर खामोशी है। वहीं बीजेपी इंतज़ार करो की रणनीति पर हैं।
एमआईएम अगर चुनाव में उतरती है कि तो पार्टी की रणनीति होगी कि वह सिर्फ चुनिंदा जगहों पर ही अपने उम्मीदवार को उतारे। पार्टी के सूत्रों की माने तो एमआईएम की निगाह खास कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वांचल के कुछ ज़िलों पर ज्यादा है। पार्टी सीमित जगहों पर चुनाव लड़कर अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है।