उर्दू साहित्य के चमकते सितारे को बिहार सरकार का सम्मान
फ़ैसल रहमानी
गया
उर्दू अदब के मशहूर साहित्यकार और सहाफी डॉ सैयद अहमद क़ादरी को बिहार सरकार ने उर्दू अकादमी में सदस्य मनोनीत किया है। राज्य सरकार ने साथ ही डॉ क़ादरी को बिहार राज्य उर्दू परामर्श समिति का सदस्य भी मनोनीत किया है। डॉ सैयद अहमद क़ादरी गया ज़िले के रहने वाले हैं। डॉ क़ादरी के मनोनयन पर राज्य भर के बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, पत्रकारों समेत समाज के सभी वर्गों ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी है। साथ ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार को इस मनोनयन के लिए धन्यवाद किया है।
डॉ सैयद अहमद क़ादरी उर्दू का मारूफ साहित्यकार हैं। उनकी अब तक दर्जनों किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। डॉ सैयद क़ादरी की कई किताबों को एवार्ड भी मिल चुका है। पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी, उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी, बिहार उर्दू अकादमी सहित कई संस्थानों ने डॉ सैयद क़ादरी की किताबों को एजाज़ से नवाज़ा है। इतना ही नहीं डॉ सैयद अहमद क़ादरी की एक किताब “उर्दू सहाफ़त बिहार में” बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल हैं। ये एजाज़ पाने वाले डॉ क़ादरी अकेले साहित्यकार हैं। डॉ क़ादरी को के के बिड़ला फ़ाउंडेशन, नई दिल्ली की तरफ से फ़ेलोशिप अवार्ड से भी नवाज़ा जा चुका है।
डॉ सैयद अहमद क़ादरी हाल ही में अमेरिका दौरे पर गए थे। इस दौरान अमेरिका में डॉ क़ादरी के सम्मान में कई गोष्ठियों और कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। अमेरिकी रेडियों स्टेशन वॉयस ऑफ़ अमेरिका, वाशिंगटन ने डॉ सैयद क़ादरी से इंटरव्यू करके आधे घंटे का एक विशेष कार्यक्रम भी प्रसारित किया था। डॉ क़ादरी न सिर्फ साहित्यकार हैं, बल्कि वे सहाफत की दुनिया से भी जुड़े हैं। उनकी पत्रकारिता में मुल्क की नब्ज़ को आसानी से देखा जा सकता है।
बिहार सरकार और सीएम नीतीश कुमार के मनोनयन के फैसले पर कई लोगों ने खुशी जताई है, इनमें पूर्व आईजी मासूम अज़ीज़ काज़मी, मुनाज़िर आशिक़ हरगानवी, एडवोकेट मसूद मंज़र, प्रो ग़ुलाम समदानी, वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल क़ादिर, वरिष्ठ पत्रकार फ़ैसल रहमानी, मुशर्रफ़ अली ज़ौक़ी, नाज़ क़ादरी, अतहर हुसैन अंसारी, अबुज़र उस्मानी, क़ासिम फ़रीदी, मंसूर अहमद एजाज़ी, ज़हीर सिद्दीक़ी, ख़ुर्शीद हयात, प्रो शाहिद रिज़वी मुख्य रूप से शामिल हैं। इन लोगों ने उम्मीद जताई है कि डॉ सैयद अहमद क़ादरी के मनोनयन से उर्दू की दोनों संस्थाओं में कार्यकारिणी के गठन को लेकर लम्बे समय से चल रहा गतिरोध समाप्त जायेगा। इन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की कि डॉ क़ादरी अपनी क्षमता से अधिक काम कर उर्दू भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार को गति देंगे, साथ ही उर्दू की तरक्की में हर मुमकिन कोशिश करेंगे।