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22 Dec 2024, Sun

आरक्षण पर भागवत का बयान एकता के लिए खतरा: इलियास आज़मी

पिछड़ों, दलितों को नही मिला आरक्षण का लाभ: अनीस अंसारी

लखनऊ

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा संबंधी बयान पर पिछड़े वर्ग और दलितों में बेहद नाराज़गी है। इनसे जुड़े कई संगठनों ने मोहन भागवत के बयान के खिलाफ आवाज़ उठाई है। इस संबंध में सामाजिक न्याय आंदोलन ने आज कई संगठनों के साथ लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस की। इस प्रेस कांफ्रेस में कई पिछड़े वर्ग और दलितों से जुड़े कई नेता मौजूद थे। सभी नेताओं ने मोहन भागवत के बयान की तीखी आलोचना की और कहा कि सवर्ण मानसिकता का प्रतीक आरएसएस पिछड़ों, दलितों को उनके मौलिक अधिकार से वंचित रखने की साजिश रच रहा है। इन नेताओं ने कहा कि बीजेपी समय समय पर आरएसएस के इशारे पर उसका एजेंडा लागू करने की कोशिश करती रहती है।

प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद नेताओं ने कहा कि आज़ादी के 68 साल बाद भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को नौकरियों में मिले 23 फीसदी आरक्षण के विरुद्ध अभी तक सिर्फ 12 फीसदी ही प्रतिनिधित्व मिल पाया है। दूसरी तरफ मंडल आयोग की सिफारिशें लागू होने के 25 साल बाद भी पिछड़ों को मिले 27 फीसदी आरक्षण में से सिर्फ 4.9 फीसदी कोटा ही पूरा हुआ है। ये आंकड़े बेहद चौकाने वाले हैं।

प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद पूर्व सांसद इलियास आज़मी ने कहा कि सैकड़ों साल से भारत में 90 फीसदी आबादी को उनके हक से वंचित रखा गया। आज़ादी के बाद जब दलितों की स्थिति देखते हुए उनके लिए संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गई। आरक्षण सामाजिक और आर्थिक रूप से समानता लाने के लिए दिया गया। इलियास आज़मी ने कहा कि मुल्क में आबादी के हिसाब से सरकारी व्यवस्थाओं में हिस्सेदारी तय होनी चाहिए। 90 फीसदी लोगों के साथ इंसाफ नहीं हो रहा है। 90 फीसदी आबादी को मुल्क में हो रहे किसी भी काम से कोई लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने आरएसएस प्रमुख की सोच को एकता के लिए खतरा बताया और कहा कि ऐसे में तो पिछड़े वर्ग और दलित की स्थिति और खराब हो जाएगी।

पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व आईएएस अधिकारी और वंचित समाज मोर्चा के अध्यक्ष अनीस अंसारी ने कहा कि 1950 में कानून बनाकर हिंदू, जैन, सिखों में दलितों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई लेकिन उसी कानून में मुसलमानों और ईसाइयों में दलितों को बाहर रखा गया, ये संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। अनीस अंसारी ने कहा कि आबादी के हिसाब से इस मुल्क में 15 फीसदी मुसलमान है लेकिन उनकी हिस्सेदारी बहुत कम है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों में भी जो पिछड़े और दलित हैं, उनकी हिस्सेदारी तो बिल्कुल नहीं है, जबकि आबादी के लिहाज़ से वो 85 फीसदी हैं। अनीस अंसारी ने कहा कि सभी वर्गों को उनकी हिस्सेदारी के हिसाब से आरक्षण मिले।

पत्रकारो से बात करते हुए पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद ने कहा कि आरएसएस प्रमुख का बयान एक सोची समझी साजिश है और उसका एक एजेंडा है कि पिछड़े और दलितों को विकास की मुख्य धारा से दूर रखा जाए। आरएसएस के इस एजेंडे को बीजेपी आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का बयान देश को तोड़ने वाला है। पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद ने कहा कि सवर्ण मानसिकता के लोग आरोप लगाते हैं कि आरक्षण की वजह से योग्य लोगों की कमी हो जाएगी जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। 35 फीसदी नंबर पाने वाला भी काबिल अधिकारी बन सकता है। समाज में ऐसे कई उदाहरण हैं, जब पिछड़े और दलित अधिकरियों ने बहुत अच्छा काम किया है।

प्रेस कांफ्रेंस में अखिल भारतीय महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार मौर्य, उदादेवी संस्थान के अध्यक्ष राम लखन पासी समेत पिछड़े वर्ग और दलितों के कई नेता मौजूद थे।