तीन तलाक पीड़ित महिलाओं की लड़ाई लड़ रही मेरा हक फाउंडेशन की फरहत नकवी खुद अपनी कानूनी लड़ाई हार गई। अदालत में 12 साल तक सुनवाई चलने के बाद भी फरहत अपने पति व बाकी ससुराल वालों पर लगाए गए दहेज उत्पीड़न के आरोप साबित नहीं कर पाई। ठोस सबूतों के अभाव में अदालत ने फरहत नकवी के पति रेहान हैदर, जेठ रिजवान, इरफान, जेठानी रोमाना और देवर जीशान हैदर को दोषमुक्त करने के बाद बरी कर दिया।
फरहत नकवी का निकाह 28 अप्रैल 2005 को रोहिली टोला निवासी सैय्यद रेहान हैदर के साथ हुआ था। शादी के कुछ ही समय बाद उनका तलाक हो गया। फरहत ने पुलिस कप्तान के आदेश से थाना किला में अपने पति सैय्यद रेहान हैदर समेत सास, जेठ, जेठानी और देवर के खिलाफ 30 अगस्त 2007 को दहेज उत्पीडन की एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप था कि शादी के बाद जब फरहत विदा होकर ससुराल गई तब उनके पति रेहान हैदर, सास नाजमीन, जेठ रिजवान, इरफान, जेठानी रोमाना और देवर जीशान हैदर दहेज में मारुति जेन कार की मांग को लेकर प्रताड़ित करने लगे।
फरहत का आरोप था कि 8 जून 2006 को अशोक किरन अस्पताल में बेटी को जन्म दिया। ऑपरेशन और इलाज का खर्च फरहत के पिता ने किया। फरहत का आरोप था कि बेटी के जन्म के बाद ससुरालवाले दहेज में कार के साथ एक लाख रुपये की भी मांग करने लगे। मांग पूरी ना होने पर ससुरालवालों ने मारपीट कर एक जनवरी 2007 को ससुराल से निकाल दिया।
दहेज उत्पीड़न के आरोप में फंसे सभी आरोपी को अदालत में हाजिर होकर जमानत करानी पड़ी। केस की सुनवाई के दौरान फरहत की सास नाजमीन का इंतकाल हो गया। सुनवाई के दौरान अदालत में फरहत नकवी, उनके भाई और परिजनों के भी बयान दर्ज हुये। इस मामले 12 साल सुनवाई चलने के बाद भी फरहत अदालत में दहेज उत्पीड़न के आरोप साबित नहीं कर पायी। रेहान हैदर के अधिवक्ता सुरेश कुमार सिंह ने अदालत में दलील देकर कहा कि शादी के बाद रेहान और उनके परिजनों ने फरहत को बहुत लाड़ प्यार से रखा। पति ने फरहत की बीकॉम की अधूरी पढ़ाई पूरी करने को बरेली कालेज में उनका एडमीशन भी कराया था।
पति रेहान अपनी पत्नी फरहत से बहुत प्रेम करते थे। शादी के बाद जब विदा होकर फरहत ससुराल पंहुची थी। तब उनकी जेठानी अस्पताल में भर्ती थी। जबकि फरहत का आरोप था कि विदा के तुरंत बाद ही जेठानी दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगी थी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुरेश सिंह ने अपनी बेटी के जन्म के दौरान रेहान द्वारा अस्पताल का जमा किया गया बिल, नैनीताल और मंसूरी के फोटोग्राफ भी अदालत में पेश किये थे। ऐसे में ठोस सबूतों के अभाव में अदालत ने आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।
मेरे केस में कब और कैसे फैसला हो गया। मुझे और मेरे वकील को इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। मैं बरसों से इंसाफ की जंग लड़ रही हूं। इतनी जल्दी हार नहीं मानूंगी। सब जानते हैं मेरे साथ अन्याय हुआ है। न्याय के लिए मैं हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाऊंगी।